Thursday, 6 September 2012

कहीं आज भी है

तेरी खुशबू इन हवाओं में कहीं आज भी है ,
तेरी कमी इस मौसम में कहीं आज भी है,
तेरी आवाज़ की कशिश मेरे कानों में कहीं आज भी है ,
तेरी सूरत को देखने की ख्वाहिश ,
                      मेरी इन आँखों में आज भी है ,
तेरे लिए दुआएं इन होठों पर कहीं आज भी हैं ,
इस शहर की मिटटी में तेरी याद कहीं आज भी है,
पर गिला क्या करना,
तेरी बेवाफाएं जग में मशहूर आज भी हैं ,
                           

तुझे देखने की बेबसी की याद आज भी है,
इन आँखों में इंतजार आज भी है ,
तुम मेरे लायक न सही ,पर किसी के लायक तो आज भी हो ,
तेरी याद में तनहा यह दिल आज भी है ,
मौसम तब भी सही न था और न सही आज है ,
इन आँखों से दरिया बहता हुआ आज भी है ,
वोह नमक आंसुओं में आज भी है,
वोह तड़प दिल में आज भी है,
तुझे न पाने की ख्वाहिश आज भी है,
न तू मेरा था और न है,
तू सबका था और तू सबका आज भी है।

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