Monday, 1 October 2012

तेरी ख़ुदाई

सुना है तुझे खुदा ने फ़ुरसत में बनाया है ,
तेरा अक्स हर एक को नज़र नहीं आया है ,
दिलवाले लेकिन तुझे देख लेते हैं ,
क्योंकि उनसे दुनिया में कुछ छुप नहीं पाया है I 

तू क्या जानेगा प्यार क्या होता है ,
तू क्या जानेगा न होना क्या होता है ,
तुने खुदा के फ़ज़ल से जब सब कुछ पाया है ,
पूछ उनसे जिन्होंने हर शाम और रात रो के बतायी है I 



ख़ुशी है तो कोई बाँटने को नहीं ,
और ग़म है तो कोई सुनने को नहीं ,
खुदा की बेवफ़ाई को कौन समझ पाया है ,
उसने किसको क्या दिया और क्या छुपाया है ,
तेरी ज़िन्दगी की ज़रुरत नहीं अब हमें मेरे मालिक ,
ले जा इसे भी उन्हें देदे जिन्होने सुख पाया है I 

2 comments:

  1. behad achcha likha hai,very emotional,lekin 8th line agar yun ho"pooch unse jhinone har sham ko tanha bitaya hai" toh woh baki poetry se alag nahin lagegi.
    thanx.

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    1. Hi, thanks a lot my dear, for liking my poem and for sharing it with other's. Yes, U are right about Ur suggestion, when I write, it is just a free flow of thoughts, so I edit it less at times when putting it somewhere. But jab aapke jaisey kadardaan mil jaayein, toh fir hum toh kya, patharon mein bhi jaan aa jaaye, isliye aagey se dhyan rakheingey. Apka ek baar fir bahut bahut shukriya adaa kartey hain. Thanks my dear.

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