Sunday, 30 September 2012

इन्तज़ार

मेरे खुदा तेरी रहगुज़र पर देर है अंधेर नहीं ,
फिर क्यों मेरा गुलिस्तान इस क़दर सूखा है, 
तेरी बगिया में हैं बहुत भंवरे ,
फिर मेरा चमन क्यों उदास है ,
तू जानता है तेरी आरजू है मुझे ,
पर तुझ तक पहुँचने की रहगुज़र कहाँ है ,
बता मेरे मालिक तेरे दर तक पहुँचने की राह कहाँ है  I 

तू जानता है की हमें किसकी तलाश है ,
क्यों शामों को महफ़िल उदास है ,
मेरे दिल के कोने में किसकी प्यास है ,
भेज दो अपने नामवर को जो दे दे उसका पता ,
जिसकी हमें बरसों से तलाश है I 

                  

यूँ ही वक़्त गुज़रता जायेगा ,
ज़माना आगे निकल जाएगा ,
मेरी किश्ती है भंवर में ,
उसे कौन पार लगाएगा I 

इस दुनिया में इतनी बुराई है ,
पर मैंने किसकी सजा पायी है ,
हैं मेरे कर्म या फिर ,
कोयले से लिखी तकदीर पायी है I 


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